हाइलाइट्स
अधिकतर लोग संचयी एफडी ही कराते हैं.
इसमें ब्याज और मूलधन एक साथ मिलता है.
गैर-संचयी में आप ब्याज पहले ले सकते हैं.
नई दिल्ली. फिक्स्ड डिपॉजिट (Fixed Deposit) को भारत में निवेश का सबसे सुरक्षित और सरल तरीका माना जाता है. रिटर्न की गारंटी और पैसा डूबने का खतरा न के बराबर होने की वजह से यह एक लोकप्रिय बचत स्कीम है. लेकिन, क्या आप जानते हैं कि फिक्स्ड डिपॉजिट से भी आप हर महीने कमाई कर सकते हैं. अगर आप भी अपने जरूरी खर्चों को पूरा करने के लिए चाहते हैं कि आपको हर महीने, तिमाही या छमाही पर बैंक एफडी की राशि का ब्याज दे दे, तो ऐसा संभव है. दरअसल, आप अपना पैसा नॉन क्यूमुलेटिव एफडी (Non-Cumulative FD) में लगाते हैं तो आपके हाथ में कुछ-कुछ समय बाद पैसा आता रहेगा.
फिक्सड डिपॉजिट दो तरह की होती हैं- क्यूमुलेटिव (Cumulative FD) और नॉन-क्यूमुलेटिव यानी संचयी या गैर-संचयी एफडी. दरअसल, एफडी के यह दोनों प्रकार ब्याज़ के भुगतान के आधार पर अलग-अलग होते हैं. पहला विकल्प क्यूमुलेटिवव स्कीम का है, जहां मैच्योरिटी पर मूलधन और ब्याज दोनों जोड़कर रकम मिलती है. वहीं नॉन क्यूमुलेटिव स्कीम में आप फिक्स कर सकते हैं कि आपको ब्याज मासिक, तिमाही, छमाही या सालाना आधार पर चाहिए.
मिलती है ज्यादा लिक्विडिटी
नॉन क्यूमुलेटिव एफडी एसबीआई और आईसीआईसीआई सहित बहुत से बैंक देते हैं. यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि नॉन कुमुलेटिव एफडी में क्यूमुलेटिव एफडी की तुलना में थोड़ा कम ब्याज मिलता है. यहां कंपाउंडिंग का लाभ भी नहीं मिलता, क्योंकि ब्याज कुछ अंतराल पर निकाल लिया जाता है. लेकिन, इसका फायदा यह है कि आपके हाथ में हर वक्त पैसा रहता है. नॉन कुमुलेटिव फिक्स्ड डिपॉजिट पर लोन की सुविधा भी मिलती है. साथ ही इसमें निवेश की कोई सीमा भी नहीं है.
किसके लिए है सही?
नॉन कुमुलेटिव फिक्स्ड डिपॉजिट ऐसे लोगों के लिए सही जिनके पास जमा पूंजी के अलावा आय का दूसरा साधन नहीं होता या उनका काम अन्य साधनों से हो रही कमाई से नहीं चल रहा है. वे अपनी जमा पूंजी को अगर क्यूमुलेटिव एफडी में लगाते हैं तो उन्हें निरंतर पैसा नहीं मिलेगा और पैसा मैच्योरिटी पर ही मिलेगा. वहीं, नॉन क्यूमुलेटिव एफडी में उनका पैसा भी सुरक्षित रहेगा, रिटर्न भी मिलेगा और उनके हाथ में हर महीने या तीन महीने में ब्याज के रूप में पैसा भी आता रहेगा.
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FIRST PUBLISHED : October 23, 2023, 19:24 IST