Kantola Farming: कंटोला में मीट से 50 गुना ज्यादा ताकत, इसकी खेती करेगी किसानों को मालामाल, जानिए प्रोसेस


नई दिल्ली. अगर आप भी खेती-किसानी में दिलचस्पी रखते हैं और इसके जरिए अच्छी कमाई करना चाहते हैं तो आज हम यहां आपको एक शानदार आईडिया दे रहे हैं. कंटोला (Kantola) की सब्जी औषधीय गुणों से भरपूर होती है. इसमें मीट से 50 गुना ज्यादा ताकत होती है. इसमें विटामिन बी 12 से लेकर विटामिन डी, कैल्शियम, जिंक, कॉपर और मैग्नीशियम जैसे पोषक तत्व भरपूर मात्रा में मिलते हैं. ऐसे में किसान कंटोला की खेती कर बंपर कमाई कर सकते हैं.

कंटोला एक छोटी कांटेदार दिखने वाली सब्जी है. इसका वैज्ञानिक नाम मोमोरडिका डायोइका (Momordica Dioica) है. मुख्य रूप से भारत के पर्वतीय हिस्सों में कंटोला की खेती होती है. इसे कंकोड़ा, कटोला, परोपा या खेख्सा के नाम से भी जाना जाता है. आम भाषा में इसका नाम वन करेला भी है.

एक दर्जन से अधिक बीमारियों में करता है कंटोला फायदा

  • सिरदर्द, बालों का झड़ना, कान दर्द, खांसी, पेट का इंफेक्शन में फायदेमंद
  • कंटोला खाने से बवासीर और पीलिया जैसी बीमारियों में राहत
  • डायबिटीज में भी बहुत फायदेमंद है.
  • ब्लड शुगर लेवल कंट्रोल रखने में मददगार
  • लकवा, सूजन, बेहोशी और आंखाें की समस्या में फायदेमंद
  • बुखार में ककोरा का सेवन उपयोगी
  • ब्लडप्रेशर और कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से बचाने में मददगार

कैसे करें कंटोला की खेती
कंटोला की खेती जायद या खरीफ मौसम में लगाई जाती है. यह मैदानी भागों में जनवरी-फरवरी में उगाई जाती है. खरीफ वाली फसल जुलाई-अगस्त में लगाई जाती है. एक एकड़ में बुआई के लिए 1-2 किलोग्राम बीज की जरूरत होती है. इसकी खेती के लिए जल निकासी वाली बलुई दोमट मिट्टी जरूरी है, जिसका पी.एच वैल्यू 5.5-6.5 हो. खेत में दो मेड़ों के बीच की दूरी 1-2 मीटर और पौधों की दूरी 60-90 सेंटीमीटर उपयुक्त है. कंटोला की खेती से 5 टन प्रति एकड़ उपज की जा सकती है.

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